विश्वास में विष का वास ?

गायन्ति देवाःकिल गीतकानि धान्यास्तु ये भारतभूमि भागे |
स्वर्गापवार्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाःसुरत्वात ||
देवता गीत गाते है कि स्वर्ग और अपवर्ग की मार्गभूत भारत भूमि के भाग में जन्मे लोग देवताओ की अपेक्षा भी अधिक धन्य है | (अर्थात मोक्ष कैवल्य के मार्ग स्वरूप भारत भूमि को धन्य-धन्य कहते हुए देवगण इसका शौर्य गान गाते है | यहाँ पर मानव जन्म पाना देवत्व पद प्राप्त करने से भी बढ़कर है | (विष्णुपुराण-2/3/24).
विष्णुपुराण के इस श्लोक से समझ सकते है कि भारतभूमि के अस्तित्व को कम से कम खुद को भारतीय कहने वालो को तो कभी हलके में नहीं लेना चाहिए | तिरुमाला में प्रसाद के साथ जो कुछ भी हुआ वो अति निंदनीय कृत है | वैदिक आधार ही भारत देश की मूल संस्कृति है | वैदिक संस्कृति का एक मुख्या संस्कार हर सनातनी पर है जिसे “सहिष्णुता” कहा गया है | इस संस्कार के आड़ में इस देवभूमि पर दुसरे धर्मो के लोगो ने कई वर्षो तक अपना स्वामित्व बनाने का प्रयास किया | इस देश का इतिहास गवाह है कि बहार से आये आक्रमणकारीओ ने इस भूमि पर शासन तो किया लेकिन वो टिक न सके | जो डरे उन्होंने अपना धर्म बदला और जो डरे नहीं वो आज भी सनातनी है | क्या इस से दुसरे धर्मो के लोगो को समझ नहीं आ रहा की हम डरे नहीं है, सहिष्णु है ?
सनातन का अर्थ है शाश्वत (जो कभी न खत्म हो), तो हमें किसी से डरने की जरूरत क्या है और क्यों हमारे धर्म स्थानों में किसी दुसरे धर्म के लोगो को समिति में सम्मिलित किया जाना चाहिए ? सहिष्णुता का गलत फायदा उठाने का मौका क्यों देना ? भगवान् तिरुमाला को वो भोग लगाया गया जो कभी प्रसाद के रूप में किसी को मिला ही नहीं | वरन इन् मास भक्षियो ने धार्मिक आस्था और विश्वास के साथ खिलवाड़ किया है।
जगन रेड्डी जो क्रिस्चियन धर्म से है उन्हें सनातनी आस्था से खिलवाड़ करने का मौका हमने ही दिया है | भगवान् अनगिनत ब्रह्मांडो के राजा है उनसे बढ़कर कोई मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री का पद भी नहीं है | यह मंदिरों के समितिगण को समझना आवश्यक है | भगवान् का मंदिर भगवान् की इच्छा से चलेगा ना की किसी सकरार से, इस पर अडिग विश्वास होना चाहिए | तिरुमाला का मंदिर दुनिया का सबसे धनवान मंदिर है तो क्यों नहीं वहा गौशाला बनाकर वही से घी बनाने का प्रयोजन किया गया | चर्चा का मुद्दा ये नहीं है कि जगन रेड्डी अब क्यों मंदिर का दौरा करने जा रहे है जबकि १८ बार अशुद्ध घी वापस किया जा चूका है | मुद्दा ये है कि गैर धर्मी से हम अपने धर्म के मंदिरों को चलाने के लिए विश्वास क्यों करे? क्या कोई गैर धर्मी समाज हम सनातनी को ये अनुमति देगा | किसी गैर धर्मी को मंदिर के समिती में रखना सहिष्णुता नहीं वरन मुर्खता है, डर है| हम क्यों भगवन के शरण में रहकर इन् सत्ताधारियो से डरते है ?
भारत में सहिष्णुता संस्कार है कमजोरी नहीं .... ये सभी धर्मो के लोगो को जानना आवश्यक है ... आँध्रप्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री पवन कल्याणजी ने सनातन धर्म रक्षा बोर्ड बनाने का अनुरोध किया है | ये चिंताजनक विचार है, सनातनी धरती पर सनातन धर्म की रक्षा का अनुमोदन...
मै कोई नारा नहीं लगा रही की सनातनियो जागो अब वक़्त आ गया है ...नही... क्यूंकि जागे हुए को कैसे जगाया जा सकता है? ... आवश्यकता है कि हम भौतिक ज्ञान के साथ साथ वैदिक शास्त्रों का भी ज्ञान ले और मनुष्यों का धर्म जो वेदों में भगवान् ने दिया है उसे समझे | हमें भगवान् के आगे ही नतमस्तक होना है किसी सत्ताधारी शक्ति के आगे नहीं ..... अपर्णा ....
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