अमित शाह का मास्टरस्ट्रोक है सौरव गांगुली का BCCI चीफ बन जाना...

अमित शाह का मास्टरस्ट्रोक है सौरव गांगुली का BCCI चीफ बन जाना...

भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) रविवार को शक्तिशाली भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड, यानी BCCI के अध्यक्ष बन गए.

अब भारत में क्रिकेट को तो सौरव गांगुली चलाएंगे ही, यह एक राजनैतिक दांव भी है, जिसकी रूपरेखा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने तैयार की है, जो सौरव गांगुली को (तृणमूल कांग्रेस, यानी TMC की प्रमुख तथा पश्चिम बंगाल की लगातार दूसरी बार बनी मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को चुनौती देने वाले के रूप में पेश करना चाहते हैं.

अमित शाह ने पिछले सप्ताह दिल्ली स्थित अपने आवास में सौरव के साथ एक संक्षिप्त मुलाकात की थी. उसके तुरंत बाद उन्होंने अपने ट्रबलशूटर, यानी संकटमोचन असम के नेता हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) को बुलाकर मुंबई जाने के लिए कहा. पश्चिम बंगाल की जंग में 'दादा बनाम दीदी' की अपनी रणनीति की कामयाबी को लेकर अमित शाह पूरी तरह आश्वस्त हैं.

इसके बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार देर रात तक फोन पर बहुत जगह बात की, और सुनिश्चित कर दिया कि BCCI के 'चुनाव' से शेष सभी प्रत्याशी पीछे हट जाएं. अमित शाह के पुत्र जय शाह BCCI के सचिव बन गए, और अरुण धूमल क्रिकेट संस्था के कोषाध्यक्ष. अरुण दरअसल BCCI के शीर्ष पदाधिकारी रह चुके मौजूदा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई हैं. भारतीय क्रिकेट पर अब एक तरह से पूरी तरह BJP का कब्ज़ा हो चुका है.

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अब 2021 (West Bengal Assembly Elections 2021) में होना है, और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (CAB) के अध्यक्ष सौरव गांगुली अब तक अपने पत्ते खोलने से परहेज़ करते रहे हैं, और उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के सिर्फ 'स्वच्छ भारत' अभियान का ही समर्थन किया है, जिसके समर्थन से बचा नहीं जा सकता था. सौरव ने भी पिछले सप्ताह अमित शाह से मुलाकात की बात तो कबूल की, लेकिन कोई भी राजनौतिक महत्वाकांक्षा होने से इंकार किया. दिलचस्प तथ्य यह है कि BCCI के शीर्ष पर सौरव गांगुली का कार्यकाल सिर्फ 10 महीने (उसके बाद सौरव को अनिवार्य रूप से तीन साल का 'कूलिंग ऑफ' पीरियड बिताना होगा, क्योंकि नियमों के अनुसार, क्रिकेट से जुड़े प्रशासनिक पदों पर लगातार सिर्फ छह साल तक रहा जा सकता है) का होगा, जो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के लिए प्रचार से जुड़कर नई पारी शुरू करने का बिल्कुल सही वक्त होगा.